
अमेरिका को सुझाव को नजरअंदाज करके भारत ने रूस के साथ सामरिक करार किया था। भारत ने दृढ़ता से निर्णय लिया। रूस के साथ अपने रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ने दिया। ट्रंप को यह गलतफहमी है कि उन्होंने भारत पाकिस्तान में युद्ध विराम कराया है। उनका जोर पाकिस्तान पर ही चल सकता है। भारत ने पर उनका असर संभव नहीं। ट्रंप के पहले और वर्तमान कार्यकाल में इस तथ्य के अनेक प्रमाण हैं। पिछले कार्यकाल में भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने हवाई बयानों के चर्चित रहते थे। इनके चलते उनकी विश्वसनीयता कम हो गई थी। इसका उनको नुकसान भी हुआ था। वह लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सके थे। इस बार वह राष्ट्रपति तो बन गए लेकिन उनकी प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं आया है। भारत पाकिस्तान तनाव में वह कूद गए। कहा कि युद्ध विराम उन्होंने कराया है। लेकिन उनकी फितरत जानने वालों का उन पर विश्वास नहीं है। उनका इतना ही जलवा है तो रूस यूक्रेन का सीधा युद्ध क्यों नहीं रुकवा सके। दूसरी बात यह कि भारत पाकिस्तान के बीच कोई युद्ध नहीं था। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का आपरेशन सिंदूर के माध्यम से जवाब दिया था। आपरेशन सफ़ल रहा। भारत इसके बाद शांति चाहता था। इसलिए उसने पाकिस्तान की की हरकतों का जवाब देने का निर्णय किया। ट्रंप इसका श्रेय लेना चाहते है। यह हास्यास्पद है।