
पाकिस्तान की आतंकी हरकतें जगजाहिर है। प्रत्येक आतंकी घटना के तार परोक्ष या अपरोक्ष रूप में पाकिस्तान से जुड़े होते है। यहां आतंकी संगठनों को पूरा संरक्षण मिलता है। वहां की सेना आतंकियों को प्रशिक्षण देती है। भव्य इमारतों में आतंकी संगठनों के कैंप और कार्यालय है। सब कुछ खुलेआम है। व्यापारिक या सरकारी प्रतिष्ठानों की तरह आतंकी संगठनों की इमारतें हैं। आपरेशन सिंदूर में ऐसी इमारतें जमीन में मिला दी गईं। उनके पुरानी तस्वीर पाकिस्तान को ही बेनकाब करती है। अमेरिका और यूरोप में हुए आतंकी हमलों में भी इन्हीं संगठनों की भूमिका थी। पाकिस्तान ने स्वयं इन आतंकी हमले की जिम्मेदारी कबूल कर चुका है। पुख्ता सबूतों के बाद उसके पास कोई विकल्प भी नहीं था। पुलमावा आतंकी हमले को तो तत्कालीन मंत्री फवाद चौधरी ने इमरान सरकार की उपलब्धि बताया था। उसने ने संसद में कहा था कि पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बल के काफिले पर हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ था। फवाद यहीं तक नहीं रुका था। उसने यह भी कहा कि पुलवामा हमला पाकिस्तान की कामयाबी है। फवाद चौधरी ने पुलवामा हमले का श्रेय इमरान खान और उनकी पार्टी को दिया। इस बयान से पाकिस्तान की सत्ता और सेना के लोगों के असली चेहरे सामने आ गए थे। यह पाकिस्तान की फितरत है। सरकार बदलने पर भी उसकी इस फितरत में कोई बदलाव नहीं होता है। यूरोप सहित दुनिया के अनेक देश आतंकवाद की चुनौती का सामना कर रहे हैं। दुनिया में शांति और मानवता का समर्थन करने वाले सर्जिकल स्ट्राइक को अपरिहार्य मानते है। आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए यह रणनीति उचित है।