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सालिक साय सादगी और संघर्ष से जननेता तक का सफर

सालिक साय: सादगी और संघर्ष से जननेता तक का सफर

 

जशपुर की पावन धरती ने अनेक जननायकों को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक नाम है सालिक साय का, जिनकी पहचान आज न सिर्फ एक जननेता बल्कि संघर्ष, सादगी और सेवा भाव के प्रतीक के रूप में होती है। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा अ.ज.जा. मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष तक का उनका सफर प्रेरणादायी है।

 

संघर्ष की राह से राजनीति का आरंभ

 

1994 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सक्रिय राजनीति में कदम रखने वाले सालिक साय ने युवावस्था से ही संगठनात्मक कार्यों में खुद को समर्पित कर दिया। स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जैसे मार्गदर्शकों के सानिध्य ने उन्हें राजनीतिक और संगठनात्मक कार्यों की बारीकियों को समझने का अवसर दिया।

 

युवा मोर्चा की जिम्मेदारी से लेकर मंडल मंत्री, जनपद पंचायत अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य और कृषि स्थायी समिति के सभापति तक उनका सफर किसी सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ाई जैसा रहा, जहाँ हर कदम पर संघर्ष और मेहनत ने उन्हें मजबूत बनाया।

 

जनता से सीधा जुड़ाव—सबसे बड़ी ताकत

 

सालिक साय का सबसे बड़ा हथियार उनकी सादगी और सहजता है। वे आम जनता से घुलमिलकर उनकी समस्याएँ सुनते हैं और समाधान के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। यही कारण है कि पत्थलगांव जैसे कांग्रेस के अभेद्य गढ़ में भी भाजपा की जीत सुनिश्चित करने में उनकी रणनीति और नेतृत्व ने बड़ी भूमिका निभाई।

 

राजनीति से परे समाज सेवा का समर्पण

 

राजनीतिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ सालिक साय ने सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। अखिल भारतीय कंवर समाज में पदों का निर्वहन करते हुए उन्होंने समाज उत्थान को अपना ध्येय बनाया। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और ग्रामीण विकास के लिए लगातार दो दशकों से अधिक समय से उनकी सतत सक्रियता ने उन्हें जनता का प्रिय नेता बना दिया है।

 

जननेता बनने की कहानी—युवा से जनविश्वास तक

 

सालिक साय के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि वे केवल नेता नहीं बने, बल्कि जनता के बीच विश्वास और उम्मीद का नाम बन गए। उनकी निरंतर मेहनत और जनता से गहरे जुड़ाव ने उनकी लोकप्रियता को रोजाना नई ऊँचाइयाँ दीं। धीरे-धीरे वे कब युवा नेता से जननेता बन गए, यह खुद उन्हें भी नहीं पता चला।

 

 

 

राजनीतिक जीवन की उपलब्धियाँ (साल-दर-साल)

 

1994 – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत

 

1996 – भाजपा की प्राथमिक सदस्यता, स्व. दिलीप सिंह जूदेव व विष्णुदेव साय के सानिध्य में राजनीति

 

2000 – भारतीय जनता युवा मोर्चा सदस्य

 

2002 – मंडल मंत्री (युवा मोर्चा), मंडल कांसाबेल

 

2005–2010 – अध्यक्ष, जनपद पंचायत कांसाबेल

 

2006 – विशेष आमंत्रित सदस्य, प्रदेश अ.ज.जा. मोर्चा

 

2010–2015 – उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत कांसाबेल

 

2015–2020 – सदस्य, जनपद पंचायत कांसाबेल एवं मंडल प्रभारी

 

2017–2019 – सदस्य, जिला कार्यसमिति व मंडल अध्यक्ष, भाजपा मंडल कांसाबेल

 

2020 – जिला पंचायत सदस्य एवं सभापति कृषि स्थायी समिति, जिला जशपुर

 

2021 – जिला सह प्रभारी, अ.ज.जा. मोर्चा, जशपुर

 

2023 – प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा एवं विधानसभा पत्थलगांव चुनाव संचालक

 

2025 – डीडीसी चुनाव जीतकर जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में काबिज

 

 

जनता की उम्मीद और प्रदेश की राजनीति में नई पहचान

 

आज सालिक साय न केवल एक लोकप्रिय नेता हैं बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में आदिवासी समाज के सशक्त चेहरे के रूप में उभर चुके हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष का पद संभालते हुए वे ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं।

 

उनका सफर यह साबित करता है कि सादगी और संघर्ष ही असली पूँजी होती है, और इन्हीं के बल पर कोई साधारण कार्यकर्ता जनता के दिलों का नेता बन सकता है।

 

 

सालिक साय का जीवन राजनीतिक आकांक्षा से अधिक जनसेवा और समाज उत्थान की कहानी है। जशपुर से उठकर प्रदेश स्तर तक अपनी पहचान बनाने वाले सालिक साय आज हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं जो संघर्ष और सादगी को आधार बनाकर जननेता बनने का सपना देखता है।

Tiwari News24

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