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खबर प्रकाशन से बौखलाए तहसीलदार और जमीन दलालों ने दी पत्रकार के हत्या की सुपारी — एक तथाकथित पत्रकार बना सुपारी किलर

पत्रकार प्रशान्त पाण्डेय की हत्या की साजिश रचने वाले भ्रष्ट तंत्र का पर्दाफाश — आईजी सरगुजा रेंज से शिकायत, सुरक्षा की मांग

सूरजपुर आज के समय में सच लिखना और घोटालेबाजों की पोल खोलना, पत्रकारों के लिए मौत को गले लगाने जैसा बन चुका है। एक बार फिर इसकी बानगी तब देखने को मिली जब हिंद स्वराष्ट्र और सिंधु स्वाभिमान समाचार पत्र के संपादक दंपत्ति द्वारा प्रकाशित कुछ खबरों के बाद जिले के कुछ भ्रष्ट अधिकारी और जमीन दलाल एकजुट होकर उनकी हत्या की साजिश रचने लगे। संपादक प्रशान्त पाण्डेय की हत्या के लिए बाकायदा सुपारी देने और लेने तक की बात सामने आई है।

 

 

खबरों से बौखलाया भ्रष्ट नेटवर्क

 

घटनाक्रम की शुरुआत तब हुई जब हिंद स्वराष्ट्र और सिंधु स्वाभिमान में लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा के विरुद्ध कई खबरें प्रकाशित की गईं। रिपोर्ट में आरोप था कि तहसीलदार ने मिलीभगत कर बिना कलेक्टर अनुमति और पटवारी प्रतिवेदन के फर्जी तरीके से भूमि की रजिस्ट्री कर दी थी।

इन खबरों के बाद SDM शिवानी जायसवाल ने तहसीलदार को तीन कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसकी जांच रिपोर्ट अब तक लंबित है।

 

इस मामले में तहसीलदार से जुड़े नाम सामने आए — हरिपुर निवासी संजय गुप्ता और उसका पुत्र हरिओम गुप्ता, जो लंबे समय से जमीन दलाली का कार्य करते हैं। बताया गया कि इन्हीं दोनों की साठगांठ से फर्जी रजिस्ट्री का कार्य संपन्न हुआ।

 

 

प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाले का खुलासा

 

संपादक प्रशान्त पाण्डेय ने सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम सिरसी में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में घोटाले का पर्दाफाश किया।

रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने जांच कर रोजगार सहायक नईम अंसारी को बर्खास्त किया और कुछ अन्य पर भी कार्रवाई की।

 

इसी पंचायत में एक और मामला सामने आया — देवानंद कुशवाहा की दो एकड़ जमीन उसके भाई बैजनाथ कुशवाहा के नाम कर दी गई। पीड़िता ने आरोप लगाया कि तहसीलदार संजय राठौर ने 5 लाख रुपये की रिश्वत लेकर नामांतरण किया और बैक डेट में फर्जी दस्तावेज तैयार किए। यह जांच भी लंबित है।

 

 

भ्रष्ट तंत्र की मिलीभगत से बनी हत्या की साजिश

 

इन दोनों खबरों का सीधा संबंध नईम अंसारी के रिश्तेदार फिरोज अंसारी और बैजनाथ कुशवाहा के पुत्र संदीप कुशवाहा से निकला।

इन्होंने सिरसी निवासी प्रेमचंद ठाकुर और उसके रिश्तेदार अविनाश ठाकुर उर्फ गोलू ठाकुर के साथ मिलकर हरिओम गुप्ता से संपर्क किया और संपादक प्रशान्त पाण्डेय की हत्या की साजिश रच डाली।

 

रिपोर्ट के अनुसार, पहली साजिश में संपादक को सिरसी बुलाकर ट्रक से कुचलने की योजना बनाई गई थी। हरिओम गुप्ता ने खुद दो बोलेरो और एक स्कॉर्पियो वाहन लेकर संपादक और उनके परिवार का पीछा किया। लेकिन परिवार को देखकर हत्या की कोशिश टाल दी गई।

 

 

दूसरा और तीसरा प्रयास भी असफल

 

पहली योजना नाकाम होने के बाद फिरोज अंसारी ने अपने साले असलम (शूटर) को बुलाकर दूसरी योजना तैयार की। लेकिन उसी समय संपादक अपने परिवार के साथ उज्जैन महाकाल दर्शन को चले गए, जिससे जान बच गई।

 

तीसरे प्रयास में 20 सितंबर की रात संपादक को बनारस मार्ग पर बाइक से लौटते वक्त गाड़ी से कुचलने की कोशिश की गई, पर भीड़ और अन्य वाहनों की मौजूदगी के कारण योजना विफल रही।

 

 

ग्रामसभा में खुला रहस्य — पंचायत के सामने खुली पोल

 

हत्या की साजिश की परतें तब खुलीं जब हरिपुर ग्राम पंचायत में आयोजित ग्रामसभा के दौरान आरोपियों के बीच मतभेद बढ़ गया।

ग्रामसभा में ही संजय गुप्ता ने सबके सामने संपादक की हत्या की सुपारी देने की बात कबूल कर ली और माफी मांगी।

हालांकि हरिओम गुप्ता ने माफी मांगने से इनकार कर दिया और पंचायत के बाहर “निर्णय करने” की धमकी दी।

 

 

आईजी सरगुजा रेंज से शिकायत — सुरक्षा की मांग

 

मामले के उजागर होने के बाद संपादक प्रशान्त पाण्डेय और उनका परिवार भयभीत है।

उन्होंने तमाम दस्तावेजों और सबूतों के साथ आईजी सरगुजा रेंज को आवेदन सौंपा है, जिसमें सुरक्षा प्रदान करने और इस हत्या की साजिश में शामिल सभी आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।

 

 

संबंधित थाने में भी की गई शिकायत

 

मामले की गंभीरता को देखते हुए आवेदक पाण्डेय के द्वारा अपने संबंधित गांधीनगर थाने में सभी साक्ष्यों को एक पेनड्राइव में संग्रहित कर शिकायत की और कार्यवाही की मांग की गई है।

 

 

पत्रकारिता को ढाल बनाकर रची गई साजिश

 

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस साजिश में शामिल कुछ लोगों ने पत्रकारिता की आड़ में अपराध को अंजाम देने की कोशिश की।

फिरोज अंसारी जैसे तथाकथित पत्रकारों ने प्रशासनिक सूचना के बहाने संपादक को जाल में फँसाने की भूमिका निभाई।

इस पूरे प्रकरण ने यह साबित कर दिया कि भ्रष्ट अधिकारियों, दलालों और नकली पत्रकारों का गठजोड़ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।

 

 

पत्रकार सुरक्षा की मांग तेज

 

घटना ने स्थानीय पत्रकार समुदाय को झकझोर दिया है। पत्रकारों का कहना है कि जब सत्य लिखने वालों को ही कुचलने की कोशिश होगी, तो लोकतंत्र की आवाज़ कौन उठाएगा?

पत्रकार संगठनों ने राज्य सरकार और गृह विभाग से मांग की है कि संपादक प्रशान्त पाण्डेय को तत्काल सुरक्षा दी जाए और आरोपियों पर हत्या की साजिश, सुपारी, धमकी और षड्यंत्र रचने के तहत मामला दर्ज किया जाए।

 

 

मुख्य बिंदु:

 

• भ्रष्ट तहसीलदार और जमीन दलालों ने मिलकर पत्रकार की हत्या की रची साजिश

• तीन बार जानलेवा हमला करने की कोशिश

• ग्रामसभा में हुआ खुलासा, आरोपी ने मानी गलती

• आईजी सरगुजा रेंज को सौंपी गई शिकायत, पुलिस सुरक्षा की मांग

Tiwari News24

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