साल्ही नदी में छोड़ दिया गया, पीसीबी खदान का कोयला पानी
जलीय जंतु एवम मवेशी अन्य लोग होंगे प्रभावित
अंबिकापुर जलीय जंतु एवम मवेशी अन्य लोग होंगे प्रभावित एक ओर परसा कोल खदान भारी विरोध के बीच खुला हुआ है लोगों का कहना है कि फर्जी प्रस्ताव बना करके यह खदान आवंटित की गई वहीं कई किसानों को एवं प्रभावित लोगों को मुआवजा तक उनके खेतों का नहीं मिला है साथ ही विगत दिन मिली जानकारी अनुसार खदान प्रबंधन के द्वारा खड़ी फसल में बुलडोजर चलाकर धान की फसल को पूरी तरीका से नष्ट कर दिया गया साथ ही कई किसानों के खेत तक पहुंच मार्ग को भी पूर्ण रूप से अवरोध कर दिया गया है इसके बावजूद वर्तमान में मनमाने ढंग से अब अपने खदान के कोयला रहित पानी को साल्ही नदी में बगैर फिल्टर किए ही सीधे तौर से डालकर जलीय जीव जंतु सहित अन्य लोगों को प्रभावित कर रहा है ग्रामीणों ने कहा कि संबंधित खदान प्रबंधन के द्वारा काफी मनमानी की जा रही है कई पर फर्जी प्रस्ताव सहित अन्य मामले को लेकर के धरना प्रदर्शन सहित कई बार शिकायत प्रशासन स्तर पर किया जा चुका है पर कार्यवाही नहीं होने के कारण इनका हौसला लगातार बुलंद होते जा रहा है और स्थानीय लोगों को तरह-तरह से प्रताड़ित कर रहे हैं अभी हाल ही में खदान प्रबंधन के द्वारा साल्ही ग्राम पंचायत के एकमात्र नदी जो की तारा ग्राम पंचायत सूरजपुर की ओर से बहती है जहां स्थानीय स्तर पर मवेशियों को पानी पिलाने सहित स्थानीय अन्य रोजमर्रा कार्य हेतु इस पानी का उपयोग किया जाता है लेकिन खदान प्रबंधन के द्वारा अब खदान के गंदा पानी को डालने से सभी कार्य काफी प्रभावित हुए हैं वहीं जलीय जीवों के लिए भी संकट की दौर चल पड़ा है मिली जानकारी अनुसार यह सालही नदी आकर प्रेम नगर क्षेत्र में अटेम नदी के नाम से प्रसिद्ध है जहां आगे चलकर बहुत बड़ा जलाशय बना है जहां सिंचाई सहित स्थानीय पेयजल उपयोग किए जाने हेतु काफी उपयोगी है इसके बावजूद भी खदान प्रबंधन के द्वारा मतमैले पानी का प्रवाह उसे नदी में किया जाना उनके द्वारा भारी लापरवाही सहित मनमानी रवैया को दर्शाता है
स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा बताया गया कि विकास की कार्य तो यहां पास किया नहीं जा रहा यहां पास मात्र खदान प्रबंधन स्थानीय प्रशासन के द्वारा स्थानीय लोगों को परेशान करने के नियत से लगातार परेशान करने वाले कार्य किया जा रहे हैं यदि इस प्रकार का लगातार किया जाता रहा तो आने वाले समय में इसका भुगतान प्रबंधन को भुगतना ही पड़ेगा